मौसम विभाग के पूर्वानुमान के बाद आगामी सरकार के लिए बढ़ी चुनौतियां


सम्पादकीय - जगदीश सिंह

गमे हयात से वो भी सितम सही है मगर।
दर्द हमें अपने दिल का छिपाया करते है।।
आरजूएं बहुत है इस टूटे दिल में
हंस कर हर आरजुओं को भुलाया करते हैं।।


मौसम में बदलाव देश में चुनाव गांव गाँव वोट के लिये नोट पर हो रहा है मोलभाव लेकिन न तो कहीं खुशी न कहीं उल्लास न तो किसी से उम्मीद न तो आस न तो किसी पर भरोसा न ही किसी पर विश्वास। मौसम के तरह बदलते बारिश के बादल सरीखे ललचाते ढपोर शंखी वादों के झंझावाती तूफान में सब कुछ तबाह कर देने वाले सियासत दारों से लोग अब नफरत करने सलगे हैं।

देश का माहौल चुनावी गर्मी से ऊबल रहा है। इधर किसान आसमान में ऊमङते घुमङते बादलों को देखकर दहल रहा है। खेतों में फसल तैयार है किसान परेशान है। इधर चुनाव सर पर हैं, नेता हलकान हैं। हर तरफ भागम भाग कहीं बारिश तो कहीं लग रही है, आग। अजीब किस्म का मंजर है चुनाव की गर्म हवा से परेशान गाँव और शहर है। हर तरफ तरफदारी की बात किसानों को झोलियाँ भर भर के आ रही हैं सौगात। मिलना कुछ नहीं है बन्दीशों की बेङीयो में व्यवस्था का आदेश कुछ किसान खुश तो कुछ बेहोश।

आज देश की व्यवस्था बदलने के लिये लोकतन्त्र के महापर्व में चुनाव के पहले चरण का वोट आज शुरू हो गया। सियासत की गर्मी में एकाएक बढ़ोत्तरी हो गयी। देश के भाग्य बिधाताओ के तकदीर का फैसला आज ई•वी•एम• में कैद हो जायेगा। पीछे छूट जायेगी कराहती हाथ मलती जनता जिनका वजूद अब पांच साल तक शून्य रहेगा। ना तो कोई सूनेगा ना ही कोई पूछेगा? मौसम की बेरूखी से घबङाये किसान भगवान से दुआ मांग रहे है। उन्हें मालूम है किसी के भी जमाने में अच्छे दिन नहीं आने वाले हैं। सियासतदार इनका उपयोग कर बेसहारा छोङ देते है।

अभी खेतों में खङी फसल कटी नहीं की "मौसम विज्ञान विभाग" ने घोषणा कर दिया है कि जून जुलाई में मानसून कमजोर रहेगा। बारिश का अनुमान लगाने वाली निजी संस्थान "स्काईमैट" का कहना है कि "अलनीनो" के कारण जून में 23% और जूलाई मे 9% कम बारिश होने के अनुमान हैं। किसान के लिये यह खबर किसी चुनाव के नतीजे से ज्यादा महत्वपूर्ण है। जो खबर मिल रही है, उसका सबसे बङा असर मध्य एवं पूर्वी भारत पर ही होगा। कई सालों से मौसम की मार झेल रहा किसान इस खबर से इस साल भी तबाही के रास्ते पर खङा है। आने वाले महीनों में चुनाव है उस समय जब किसान का खेती से जूङा बङा लगाव है देखना है मौसम की बेरूखी की मार नेताओं के चुनावी वादों की भरमार के बीच किसकी बनती है सरकार। किसानों का कौन करता है उद्धार?

वक्त तेजी से बदल रहा है। लोगों का दिल दिमाग सम्भल रहा है। हर कदम सोच कर सम्भल कर आगे बढाएं यह आप के भविष्य के निर्माण का समय है। आप का फैसला इतिहास बदलने जा रहा है।

जय हिन्द



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