कश्‍मीर में कल की बहार के लिए कड़ाके की ठंड में ताजदीन अहमदजई व्हीलचेयर पर वोट डालने पहुंचे



गुटलीबाग बाला में ही एक अन्य मतदान केंद्र में फारुख बानो वोट डाला है। उन्होंने कहा कि कि पठानों में महिलाएं सख्ती से पर्दे का अहतिमाम करती हैं। पुरुष बिजली व सड़कों के लिए सड़कों पर उतरते हैं तो कभी दफ्तरों का चक्कर लगाते हैं, लेकिन पानी के लिए सबसे अधिक दिक्कत हमें ही झेलनी पड़ती है। इसके लिए दूसरे गांवों में जाना पड़ता है। उन्होंने कहा कि इस बार भी इस भरोसे से आए हैं कि हमारा नुमाइंदा समस्याओं को दूर करेगा।

कश्मीर (ब्यूरो): 89 वर्ष दमा के मरीज और कंपकंपाते हाथ। कोरोना प्रोटोकॉल के तहत मास्क लगाकर कड़ाके की ठंड में भी ताजदीन अहमदजई व्हीलचेयर पर अपनी नई पीढ़ी के उज्ज्वल भविष्य के लिए वोट डालने मतदान केंद्र की ओर बढ़े जा रहे हैं। उनके चेहरे की झुर्रियां कश्मीर के नौ दशकों का इतिहास बयां कर रही हैं। उन्हें अब अपनी नहीं, बल्कि जवान हो रही पीढ़ी की चिंता है।

वह नहीं चाहते हैं कि उन्होंने जो तकलीफें बीते कुछ दशकों में झेली हैं, आतंकवाद ने जो पीड़ा दी है, वह अब उनके नाती-पोतों का भविष्य बिगाड़ दे। जिला विकास परिषद के चुनाव में ताजदीन ने मध्य कश्मीर के गांदरबल जिले के गुटलीबाग बाला इलाके में बने मतदान केंद्र में वोट डाला है। लोकतंत्र के इस उत्सव में हिस्सा लेने के लिए उन्होंने व्हीलचेयर के सहारे एक किलोमीटर का सफर किया है।

बीमार होने और कड़ाके की ठंड में भी घर से बाहर निकलने के सवाल पर वह तपाक से बोले- आज ठंड की मार झेलेंगे तभी तो कल की बहार देखेंगे। अपने इलाके को खुशहाल व तमाम सुविधाओं से मालामाल देखने के लिए उन्होंने तय कर लिया था कि वह सबसे पहले वोट डालने वालों में शामिल होंगे। वह खुश हैं कि इलाके के मतदान केंद्र में उन्होंने दूसरा वोट डाला है। उनसे पहले सिर्फ एक ही व्यक्ति पहुंचा था।गुटलीबाग बाला इलाके में स्थित लगभग हर मतदान केंद्र पर सुबह से ही मतदाताओं की कतार लगने लगी थी। बुजुर्गों को भी उत्साह से अपनी बारी का इंतजार करते देखा गया। सब खुश हैं, सिर्फ इसलिए क्योंकि उन्हें बदलाव की उम्मीद है।

अब तक वोट लिया, पर सुविधाएं नहीं दीं

अहमदजई कहते हैं कि हम नौकिरयां नही मांगते। हमारा कबीला (गुटलीबाग में पख्तून कबीला आबाद है) अनुसूचित जनजाति का है। इसलिए नौकरियों के लिए परेशान नहीं हैं, लेकिन बिजली, पीने के पानी व सड़कों का इंतजाम नहीं है। इसलिए न तो मरीज समय पर अस्पताल पहुंच पाते हैं और न ही बच्चे स्कूलों में। हमसे अब तक वोट लिया गया, लेकिन सुविधाएं नहीं दी गईं। अब सुविधाएं देने का वादा किया गया है, इसलिए बेझिझक वोट डालने आ गए कि चलो, हमें न सही, हमारी पीढ़ी का भविष्य तो उज्ज्वल हो जाएगा।



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