घोसी सांसद राजीव राय को संबोधित केंद्रीय मंत्री के पत्र ने उधेड़े भर/राजभर की खोखली राजनीति करने वालों के धागे।

आपको याद होगा विगत दिनों घोसी सांसद राजीव राय ने केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री जुएल ओरम को पत्र लिखकर भर/राजभर समुदाय को अनुसूचित जनजाति सूची में शामिल करने की मांग की थी। जिसके जवाब में केंद्रीय मंत्री जुएल ओरम ने कहा था कि इस मुद्दे को प्रमुखता से संज्ञान में लिया जाएगा।
अब घोसी सांसद राजीव राय को संबोधित एक अन्य पत्र के माध्यम से केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री जुएल ओरम ने जो बातें साझा की हैं, उसको जानकर भर/राजभर समुदाय के प्रतिनिधित्व का ढोंग करने वाले तथाकथित नेताओं के जमीनी हकीकत के धागे को पूरी तस्दीक के साथ खोल कर सामने रख दिया है। आपको जानकर आश्चर्य होगा भर/राजभर की राजनीति करने वाले उस समाज के चंद नेता जो चुनावों में दहाड़े मार-मार कर भर/राजभर को उनका हक दिलाने की बात करते नहीं थकते हैं, असल में इस मुद्दे को मंच और माइक तक ही समेट कर रख दिया है, इनकी कारगुजारी उस वक्त उजागर हुई, जब घोसी सांसद राजीव राय ने पत्र के माध्यम से भर/राजभर समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग की। जिसके जवाब में केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री का अब जो जवाब आया है वह निश्चित रूप से वर्तमान उत्तर प्रदेश सरकार में उस जाति का प्रतिनिधित्व करने वाले एक मंत्री और उनके पुत्रगणों के खोखली राजनीति का पर्दाफाश कर दिया है।
केंद्रीय मंत्री ने अपने पत्र के माध्यम से घोसी सांसद राजीव राय को बताया है कि भर/राजभर समुदाय को अनुसूचित जनजाति सूची में शामिल करने का कोई भी प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास अभी लंबित नहीं है। इसका आशय यह है कि भर/राजभर समाज की राजनीति करने वाले नेताओं ने भी केंद्र सरकार तो दूर उत्तर प्रदेश की राज्य सरकार के समक्ष भी भर/राजभर समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने का ना कोई प्रस्ताव भेजा है, ना ही मांग किया है। जिसके परिणाम स्वरूप उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भी केंद्र सरकार के पास भर/राजभर समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने हेतु कोई प्रस्ताव अब तक भेजा ही नहीं गया है। केंद्रीय मंत्री ने घोसी सांसद राजीव राय को अवगत कराते हुए बताया है कि आपके पत्र की एक प्रति उचित कार्यवाही के लिए उत्तर प्रदेश प्रशासन को भेज दी गई है। केंद्रीय मंत्री ने राजीव राय को सूचित करते हुए कहा है कि "अनुमोदित तौर तरीकों के अनुसार उत्तर प्रदेश की अनुसूचित जनजाति की सूची में भर/राजभर समुदाय को शामिल करने के संबंध में जनजातीय कार्य मंत्रालय में कोई प्रस्ताव लंबित नहीं है। राज्य सरकार की सिफारिश मामले को आगे बढ़ाने के लिए पूर्व अपेक्षित है। आपके (घोसी सांसद की) पत्र की एक प्रति उचित कार्यवाही के लिए उत्तर प्रदेश प्रशासन को भेज दी गई है।"
घोसी सांसद के एक पत्र ने इतना तो स्पष्ट कर दिया कि भर/राजभर की राजनीति करने वाले नेताओं ने धरातलीय स्तर पर भर/राजभर के हित में अब तक कोई कार्य नहीं किया है। अलबत्ता उस समुदाय के वोट बैंक के बदौलत विभिन्न दलों से गठबंधन करके समय-समय पर स्वयं को मजबूत अवश्य किया है।
अब आगे देखना यह दिलचस्प होगा कि क्या राजीव राय के पत्र को गंभीरतापूर्वक लेते हुए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार भर/राजभर समुदाय को अनुसूचित जनजाति सूची में शामिल करने हेतु कोई प्रस्ताव संबंधित केंद्रीय मंत्रालय को भेजता है अथवा यह प्रकरण भी एक दूषित राजनीति का शिकार होकर रह जाएगी।