वृद्धावस्था में भगवान-मुन्ना दुबे

बुढ़ापा आते ही शरीर कमजोर होने लगती है |शरीर के अंग शिथिल होने लगते हैं |दांत आंख कान जैसे अंग उपांग भी धीरे-धीरे साथ छोड़ने लगते हैं |परंतु काम चलाने के लिए इनका विकल्प कृत्रिम दांत और चश्मा आदि होता है |लेकिन इसी दौरान सगे संबंधी भी धीरे धीरे साथ छोड़ने लगते हैं |उपेक्षा व अनादर भी करते हैं |सबको लगता है वृद्धा अवस्था हो गई अब तो इनका कोई उपयोग नहीं है |इसलिए कोई लगाव भी नहीं रखता है |लेकिन भ्रम में न रहिए,जब सब साथ छोड़ देते हैं तो ऐसे हालत में वृद्धा अवस्था का विकल्प परमात्मा हो जाते हैं |वही देखरेख करते हैं |वही सब कुछ सुनते हैं |वही मदद करते हैं |वृद्धावस्था में अगर आप सेवा सहयोग आदर सम्मान करते हैं तो यह भगवान का आदर और सम्मान होता है |क्योंकि वृद्धावस्था में वृद्ध के साथ भगवान बराबर सहायता में विराजमान रहते हैं |



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