चीन के खिलाफ भारत की चौकस रणनीतिक व कूटनीतिक तैयारी

विदेश मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय के बीच दिन भर चला विमर्श का दौर। रक्षा मंत्री और विदेश मंत्री ने पीएम नरेंद्र मोदी को दो बार की ब्रीफिंग। सीडीएस व तीनो सेना प्रमुख के साथ रक्षा मंत्री की अलग बैठक।

नई दिल्ली - सोमवार शाम में पूर्वी लद्दाख स्थित गलवन क्षेत्र में भारतीय व चीनी सैनिकों के बीच हुई खूनी झड़प ने दोनो देशों की राजधानी में रणनीतिक व कूटनीति तापमान को बढ़ा दिया है। स्थानीय सैन्य कमांडरों ने सोमवार देर रात को नई दिल्ली रक्षा मंत्रालय को हालात से अवगत कर दिया था। मंगलवार को भी दिन भर रक्षा मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के साथ पीएमओ का विमर्श चला रहा है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ व तीनों सेनाओं के प्रमुखों, विदेश मंत्रालय एस जयशंकर के साथ दो चरणों में हुई बैठक हुई और फिर उसके बाद रक्षा मंत्री व विदेश मंत्री की तरफ से पीएम नरेंद्र मोदी को पूरी स्थिति पर ब्रीफिंग दी गई।

इस पूरे घटनाक्रम के बाद भारत की रणनीति यही है कि वह अपनी तरफ से चीन के साथ सैन्य झड़पों को बढ़ाने की कोशिश नहीं करेगा लेकिन चीनी सैन्यकर्मियों की तरफ से किसी बी आक्रामक रवैये को बर्दास्त भी नहीं किया जाएगा।

चीन के सैनिकों ने एकतरफा तरीके से हालात को बदलने की कोशिश की

भारतीय विदेश मंत्रालय ने दिन भर चली बैठकों के बाद जो आधिकारिक बयान दिया है वह भी इस रणनीति की तरफ इशारा करता है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने सोमवार की घटनाक्रम की पूरी जिम्मेदारी चीन पर डाली है। उन्होंने कहा है कि 6 जून, 2020 को दोनो पक्षों के बीच हुई बातचीत में यह सहमति बनी थी कि सीमा पर शांति बनाये रखने व यथास्थिति बहाल रखा जाएगा लेकिन चीन के सैनिकों ने एकतरफा तरीके से सोमवार को हालात को बदलने की कोशिश की। अगर चीनी पक्ष ने अधिकारियों के बीच बनी सहमति को जमीन पर लागू किया होता तो दोनों तरफ जो हानि हुई है उसे टाला जा सकता था।

भारत हमेशा से इस बात को लेकर स्पष्ट है कि उसकी सेना की गतिविधियां अपनी सीमा के भीतर ही है और उम्मीद करता है कि चीन की सेना भी ऐसा करे। श्रीवास्ताव ने आगे कहा है कि, भारत बातचीत के जरिए सीमा पर शांति व स्थायित्व बनाये रखने के लिए प्रतिबद्ध है लेकिन हम भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को बनाये रखने के लिए भी बहुत ही प्रतिबद्ध हैं।



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