भारतीय वायु सेना में है सीमा पर आधे घंटे में टैंक व तोपखाना पहुंचाने की क्षमता

पश्चिमी लद्दाख में सेना सियाचिन ग्लेशियर में पाकिस्तान के मंसूबों को नाकाम बनाने की मुहिम पर है। वहीं पूर्वी लद्दाख में चीन के बढ़ते कदमों को रोकने में जुटी है।

जम्मू जेएनएन : पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास भारतीय वायुसेना के विमानों की गूंज और चीन की गीदड़भभकियों के सामने डटे जवानों के हौसले ने चीन के विस्तारवादी मंसूबों पर पानी फेर दिया। एलएसी के पास तक सड़क नेटवर्क और सेना की तैयारियों ने ड्रैगन की हताशा को और बढ़ा दिया है। इसी हताशा में चीनी सैनिक भारतीय दल पर हमले की हिमाकत कर बैठे। अब जवाबी कार्रवाई के डर से उनके पसीने छूट रहे हैं।

अगर आमने-सामने की स्थिति का आकलन किया जाए तो पूर्वी लद्दाख में भारतीय सेना व वायुसेना मजबूत स्थिति में हैं। युद्ध के मैदान में भारतीय जवानों के हौसले का जवाब नहीं है और कारगिल में पाकिस्तान के साथ चीन को भी इसका संदेश मिल चुका है। अब दौलतबेग ओल्डी समेत तीन एडवांस लैंडिंग ग्राउंड बनने से सैन्य क्षमता में कई गुणा इजाफा हुआ है। अब भारतीय वायुसेना देश के अन्य हिस्सों से महज तीस मिनट में टैंक, तोपखाना और जवानों को लद्दाख पहुंचा सकती है। पिछले दिनों चिनूक हेलीकॉप्टर और तेजस विमानों की गूंज बीजिंग तक सुनाई दी गई थी। दो साल पहले वायुसेना ने 500 टन के साजो सामान से भरे ग्लोब मास्टर समेत अपने सोलह बड़े विमानों को उतारकर चीन को स्पष्ट संकेत दे दिया था कि अब वह किसी गलतफहमी में न रहे। सेना की मजबूती और चीन से उसके कब्जे वाले अक्साई चिन इलाके को वापस लेने के मोदी सरकार के दावों से भी चीन की नींद उड़ा दी है। पूर्वी लद्दाख के अक्साई चिन का 38 हजार किलोमीटर चीन के कब्जे में है।



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